कब से राहों में खड़े तेरा इंतज़ार कर रहे थे.......
हर शाम घर की देहलीज पर तेरी आह्ट सुन रहे थे......
तू न आया पर तेरी ख़ामोशी का सबब मिल गया......
दर्द की स्याही से लिखी किताब का वो अधुरा पन्ना फिर खुल गया......
सोच में तू ख्वाब में तू पर हकीकत में न मिला.......
समझा न तू मेरे प्यार को कभी और यूँही चलता रहा ये सिलसिला
यूँही चलता रहा ये सिलसिला.....!!!
निशा :)
हर शाम घर की देहलीज पर तेरी आह्ट सुन रहे थे......
तू न आया पर तेरी ख़ामोशी का सबब मिल गया......
दर्द की स्याही से लिखी किताब का वो अधुरा पन्ना फिर खुल गया......
सोच में तू ख्वाब में तू पर हकीकत में न मिला.......
समझा न तू मेरे प्यार को कभी और यूँही चलता रहा ये सिलसिला
यूँही चलता रहा ये सिलसिला.....!!!
निशा :)
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