Wednesday, September 26, 2012

कितने सालों के बाद...

कितने सालों के बाद उन्हें जी भर के देखा
कितनी तसल्ली से उनसे की आज बातें.....
चाहा आज  वक़्त को रोक लूँ  यहीं......
और कभी ख़त्म ही  ना हो ये मुलाकातें....
उनकी नज़रों से फिर मेरी  नज़रों का हुआ सामना....
झांक के देखा तो मिली कई शिकायतें.....
दो पल की इस मुलाकात में.....
हमने जी ली फिर साथ गुजारी हुई तमाम खुबसूरत रातें.....
इतना दिल में ज़ज्बात का सैलाब उठा......
रात भर उनकी सोच में बदलते रहे हम करवटें.....
कैसी अजीब दिल की तकरार है देखो....
कभी ख़त्म होने का नाम ही ना लेती ये हसरतें....!!

 निशा :) smile always

कैसी ये परेशानी..


कैसी है ये परेशानी जो मुझे वो दे गया....
जाते जाते मुझ पर एक मेहेरबानी वो कर गया....
दामन में मेरे हर गुजरे हुए एहसास का दौर छोड़ गया.....
कच्चे धागों से जोड़ी थी उसने प्यार की ये डोर जो एक पल में वो तोड़ गया....!!!

निशा :)

ना जाने कब कैसे कहाँ मुझे प्यार हो गया .....

ताबज्जू इस दिल को जो दी तो
ना कहते कहते भी इकरार हो गया
उनके खयालो में यूँ रहने लगे हम
की समझे भी ना हम और ये दिल खो गया
अजीब बेचैन ज़िन्दगी में अब तो
दिन और रात का फर्क करना भी दुश्वार हो गया
तेरी सोच के साथ जीने जो लगे हम
तो सपनो में भी तेरा दीदार हो गया
रुठते रहे हम और मानते रहे तुम
और इसी तकरार में  ना जाने कब कैसे कहाँ मुझे प्यार हो गया .....
ना जाने कब कैसे कहाँ मुझे प्यार हो गया...!!!

निशा :) smile always

मिलते रहे हम ...

मिलते रहे हम होती रही बातें......
बढती रही यूँही अपनी  मुलाकातें .......
नए रास्तों का सफ़र था जुडी नयी हसरतें.......
बांटी एक दूजे से हमने मुस्कराहटें .......
हाथ थामे चल दिए और मुड के ना देखा........
शायद जुड़ गयी तकदीर और था रेखाओं का लेखा....
बीच राहों में कहीं छोड़ ना देना साथ कभी......
दिल के टूटने का दर्द हम सह ना पाएंगे अभी......!!!

 निशा :) smile always

Tuesday, September 25, 2012

तुम ही तो हो मेरा आशियाँ....

चलते चलते राहें मेरी उस तरफ मुड गयी.......
जहाँ वो खड़े थे और मुझे मेरी मंजिल मिल गई.....
उनके एहसास में मिला मुझे प्यार का जहाँ.......
ख़ुशी से खिलखिलाती जमीन और खुला आसमान......
शुक्रिया करू मै या कह दू आज यहाँ........
तुम ही तो हो मेरी ज़िन्दगी तुम ही तो हो मेरा आशियाँ.....!!!

निशा :)

यूँही चलता रहा ये सिलसिला....

कब से राहों में खड़े तेरा इंतज़ार कर रहे थे.......
हर शाम घर की देहलीज पर तेरी आह्ट सुन रहे थे......
तू न आया पर तेरी ख़ामोशी का सबब मिल गया......
दर्द की स्याही से लिखी किताब का वो अधुरा पन्ना फिर खुल गया......
सोच में तू ख्वाब में तू पर हकीकत में न मिला.......
समझा न तू मेरे प्यार को कभी और यूँही चलता रहा ये सिलसिला
 यूँही चलता रहा ये सिलसिला.....!!!

 निशा :)

ऐ दिले नादान संभल भी जा....

ऐ दिले नादान संभल भी जा....
रुक जरा तू और मुझे बता.....
ये किसके लिए धड़कन का गीत तू गुनगुना रहा है......
उसकी धुन में है कैसी कशिश की तू खिंचा चला जा रहा है.......
तपिश ये कैसी ये कैसी चुभन है.......
कहते है लोग ये बस प्यार की लगन है........
जिसमे तू धुन्दता ख़ुशी का लम्हा........
भीड़ के बीच भी पाए तू खुद को तनहा.......
रुक जरा तू अब संभल भी जा.........
प्यार का नगमा तू यूँ न गुनगुना.........
दर्द है ये ऐसा की तू आँखों की नमी के साथ भी मुस्कराएगा.......
प्यार का रंग चढ़ेगा और तू खुद को और दर्द में पायेगा........
ऐ दिले नादान संभल भी जा....
रुक जरा तू और मुझे बता.....!!!!

निशा :)

लगन जिया की...

लगन जिया की नयी रुत को साथ लेके आई है......
प्यार में सराबोर भीगते मौसम की रुत छाई है .......
हवाओं का भी रुख देखो बदलने लगा है.......
उसमे हर एक के मन में मोहब्बत की कशिश का एहसास जगा है.........
कोई इसमें है दिलवाला तो कोई दिलजला है........
दीवानगी है तिश्नगी है चाहत का रब मिला है.........

निशा :)

एक लड़की की कहानी एक लड़की की जुबानी....:-

आज मैंने ज़िन्दगी का कैसा भयानक रूप है देखा.....
बेदर्दों की इस दुनिया में किसी ने एक बिलखती नन्ही जान को कूड़े के ढेर में फेका......
क्या उसका कसूर था इतना की वो लड़की के रूप में पैदा हुई........
कैसी कोक से जन्मी वो जो है इतनी निर्दयी........
कहते है लक्ष्मी का रूप है स्त्री जो परिवार को देती है अपनी निर्मल छाया........
भूल गया वो बेदर्द इन्सान जो उससे ही इ
स धरती पर आया.........
रूढी रीतियों का गन्दा खेल है ये जिसने भरे संसार में उसको अकेला बनाया......
सुख की नींद से नाता छोड़ हर अपने से दूर कराया..........
दर्द से भरी कैसी है ये खुदा की खुदाई..........
जिससे मेरी आँखें है भर आई............
हाथ जोड़ मांगूं खुदा से अब दे उसको ऐसा आशियाँ..........
माँ के आँचल में खेले वो फिर से मिल जाये उसे एक मुक्कम्मल जहाँ.......!!!
 
 निशा :)

Thursday, September 20, 2012

प्यार

प्यार पर ऐतबार और उसका इंतज़ार.....
राहें अधूरी और सिर्फ उसका ख्याल........
चाहत में जी  लूँ करूँ खुद से ये सवाल.......
तेरे बिन जियूं तो कैसे जियूं ......
कभी तो पलट के देख मुझे और पूछ मेरा हाल....!!

 निशा

दिल ने कहा

जब जब दिल से सोचा इस दिल ने ठोकर मार के कहा.......
ऐ नादान तू कितना मुझे तड्पाएगा और कितना मैं सहूँ ये बता......
तेरी कमजोरी ये है की तू एहसास को ताबज्जु देता है......
पर आज के दौर पे एहसास का कोई मोल न मिलता है.....
दिखावे पे जीते है लोग इस दिल में झांक के कोई न देखता है.......
अनमोल दिल के ज़ज्बात को हर इन्सान तराजू में तोल के रखता है.........!!

निशा .

Tuesday, September 18, 2012

शायरी १२ (दिल की कुछ बात)

तकदीर की लकीरों में आधा हिस्सा दुःख का और आधा हिस्सा ख़ुशी का है ........
इससे डरकर जीना छोड़ न दे तू क्यूंकि ये तो हर ज़िन्दगी का किस्सा है..........
कभी खुदा से मिलकर पूछेंगे तुने हर इन्सान के साथ ये कैसा अजब सा  खेल है बनाया.......
कहीं ज़िन्दगी को मिली है धुप की जल्जलाती किरणे और कहीं है सुख से भरी अंतरिम छाया.......!!

निशा

शायरी ११ (दिल सी लिखी कुछ बातें)

लिखते लिखते  आज ये सोचा की लिख दूँ मैं तुझको कुछ ऐसा......
जिसे देख तेरी आँखें भर आये और समझे तू की कोई नहीं है मेरे जैसा......
जो तेरे दिल का हर एक हाल बताये, तेरी ख़ामोशी को भी समझ जाये.......
जो दूर होकर भी तुझे अपनी याद दिलाये, और सामने रहकर हर पल तुझे हंसाये......
जो तेरी परछाईं का हिस्सा बन जाये, जब तू मांगे ख़ुशी खुदा से अपने हिस्से की ख़ुशी भी तुझे दे जाये.....
लिखते लिखते आज ये सोचा की लिख दूँ तुझको कुछ ऐसा.............!!!!

निशा

शायरी १० (दिल सी लिखी कुछ बातें)

मेरी ज़िन्दगी के कोरे कागज़ पर बना ली उसने अपनी पहचान.......
क्यूंकि प्यार की स्याही से लिखा मैंने उसका नाम........
जिसने ख़ुशी और गम हर एक राह में मेरी बाहें ली थाम.........
मांगू ये दुआ खुदा से उसी के साथ बीते मेरी ज़िन्दगी की हर एक सुबह हर एक शाम....!!

निशा

Sunday, September 16, 2012

मेहेंगाई और आम इन्सान :-

महंगाई की मार ने हर घर में आग लगाई.......
देखो हर दिन की मजदूरी में जीने वालो पर कैसी विपदा है आई.......
एक एक दिन की रोजी रोटी को तरसे लोग.......
और सरकार कर रही है झूठे झूठे वादे रोज़........
लगता है कुर्सी पर बैठे लोग चाहते है सिर्फ पैसे वालो को देखना.......
इसलिए आम आदमी को छोड़ दिया है खुद के हाल पर जीना........
हर चीज़ पर subsidy हर चीज़ पर टैक्स पड़ता  है हमे देना........
अपनी जेबों को भर भर के चाहते है हमसे हमारा सब कुछ लेना........
जिस दिन आवाज़ उठेगी उस दिन मिलकर बताएँगे........
आम इन्सान की ताकत और एहमियत को इन नेताओं को सिखायेंगे..........!!!

निशा




शायरी ९ (दिल से लिखी कुछ खास बात):-

शब्दों में बाँध लू तो शायद एक बात भी न बन पाए......
आँखों में छुपा लू तो शायद एक एहसास भी न दिला पाए......
प्यार का ज़ज्बा है कोई समझे तो समझे........
नासमझ्कर हकीकत में न सही ख्वाबों में तो आये......!!

निशा

शायरी ८ ((दिल से लिखी कुछ खास बात):

ऐसी कई बातें थी जो उन्हें रोक के कहनी थी.......
ऐसी कई सोच थी जो उनसे यूँही बाँट लेनी थी......
पर जब वक़्त आया कहने का तो उन्हने मुंह मोड़ लिया......
मेरे दिल के एहसास को छूकर भी मुझे बीच राह में छोड़ दिया.....
एक वक़्त में देखना हम टूटे हुए दिल से फिर उभर कर आयेंगे.......
ख्वाबों को एक दिन सच में हकीकत बनायेंगे......!!

निशा

शायरी ७ (दिल से लिखी कुछ खास बात):-

मोहोब्बत एहसास है अनछुआ जिसको हर पल महसूस करने का जी करता है.......
किसी को दिल में बसा के धड़कन की आवाज़ सुन लेने का जी करता है.........
वो कब समझेंगे हल-ऐ-दिल मेरा चाहत में छुपी हर एक बात बता लेने का जी करता है.....
आँखों से ही पढ़ लो इस एहसास को शायद कह न सकूँ  की तुम्हे खुद में जी लेने का जी करता है....!!

निशा

शायरी ६ (दिल से लिखी कुछ खास बात):-

दिल की बात चली तो मैंने सोचा मै भी कुछ कह दूँ .....
अल्फाजो के रूप में अपनी बातें उन तक पहुंचा दूँ.......
वक़्त का लम्हा हर पल बीतता जाता है.......
और तेरी याद में मुझको कितना सताता है.......
उदासी का आलम मेरे दर्द को और बढ़ता है........
और तेरे होने का हर ख्याल मेरे जीने की वजह बनाता है.........!!

निशा

५ (दिल से लिखी कुछ खास बात):-

पूछते है दुनिया वाले तेरी आँखों में कौन रहता है........
ख्वाहिशों के समंदर में एहसास बन कौन बहता है........
मैं बोली वो मेरी ज़िन्दगी की किताब का वो अधुरा हिस्सा है........
जिससे किताब का हर पन्ना पूरा होता है.........
जो मेरे साथ हँसता है और मेरे साथ रोता है........
जिसके होने न होने का फर्क नहीं पड़ता  क्यूंकि वो तो हर पल
हर एहसास में मेरे साथ रहता है मेरे साथ जीता है............!!!

निशा

शायरी ४ (दिल से लिखी कुछ खास बात):-

इंतज़ार का हर लम्हा बीत भी जाये तो क्या.......
तुझे मेरी याद किसी भी पल न भी आये तो क्या.......
कहते है प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता.......
तेरे बिन जीने की आदत सी भी हो जाये तो क्या........!!!

शायरी ३ (दिल से लिखी कुछ खास बात):-

रुक गए मेरे कदम जो तुम साथ हो चले......
आस जुड़ गयी फिर दिल में जो तुम मुझको ऐसे मिले.......
तम्मानाये जगी एहसास खिल उठे........
यादों पे जुड़ गयी नयी तस्वीर जो तुम अपना तस्सवुर ले चले.......!!!

शायरी २ (कुछ शब्द प्यार भरे)

वो बारिश की बुँदे वो सरसराती हवा........
आज भी याद है वो खुबसूरत समां........
जब जब उस गली से गुजारी मैं यादों का झोंका लौट के लाया सारी बात.......
अनकहे अनसुने वो मेहेकते ज़ज्बात........
भीगते पत्थर पे लिखा हमने एक दूजे का नाम.........
समझ भी न पाए थे रास्तों को और गुजर भी गयी वो शाम.........
चाहत के उस मंजर को रोज़ सिराहे रख कर सोया करते है.......
तेरे आने की आह्ट को रोज़ सुनते है और रोज़ खुद को दिलासा दिया करते है........!!!

निशा

शायरी 1 (कुछ शब्द प्यार भरे)

आज कल ज़िन्दगी मुझसे है ये कह रही.......
हंसी को बाँट ले मुस्करा ले तू यहीं.......
गम को भुलाकर चाहत में उठकर जी ले इसे अभी......
ये रास्ते और ये ज़मीन न लौट के आयेंगे फिर कभी........
एक मुस्कराहट को धुंडने की जरुरत नहीं.......
वजह को चाहो तो मिल जाये खुद में ही कहीं.........!!!

निशा
खुले आसमान की तरफ नज़र उठा के जो देखा....
रात के अन्धेरेपन को चीरते हुए कई रोशनी के दिए जल रहे थे.......
मेरे आँगन में तारों की बरात थी आई.......
चांदनी में सराबोर रोशनी के जगमग फूल खिल रहे थे.........
मैंने पूछा उस एक तारे से तू क्यूँ अपनी रोशनी से इस दुनिया को रोशन बनाता है.........
लोग तो सारे सिर्फ चाँद की बात किया करते है........
और तू उनको ही अपनी रोशनी से राह दिखाता है..........
वो बोला चाँ
द तो सिर्फ होता ही एक है........
मैं तो हजारों की गिनती में मिलता हूँ.........
उसका अस्तित्व तो है सिर्फ दो दिन का.........
मैं तो हर दिन आसमान को रोशन किया करता हूँ.........!!!

निशा

पूछो ना देश का क्या हश्र हो रहा है........

पूछो ना देश का क्या हश्र हो रहा है........
जनता जाग रही है और हर एक नेता सो रहा है........
भूख से बिलखती बच्चो की किलकारियां........
आज भी गूंजती है गली गली में यहाँ........
आँखें है नम हाथ है ख़ाली........
एक वक़्त की रोटी मिलनी है मुश्किल कहाँ भरी हुई थाली................
आज के नेताओं के भ्रष्ट रूप को देख के हर दिल रोता है..........
क्या ५० साल की आजादी का जश्न ऐसे ही होता है..........
दुनिया क
े साथ हाथ मिलाने में कोई कमी ना रखी है.........
पर खुद के घर में झाँकने की जरुरत किसी ने ना देखी है.............
जब जब आतंकवाद की बात हुई हर नेता ने अपना मुह मोड़ लिया.............
मरते रहे लोग रास्तों में और दो पल का धाँदास बंधाकर यूँही दुःख में छोड़ दिया..........
ये कैसी होड़ लगी है बस एक कुर्सी को पाने में.............
देश को बाँट रहे है टुकडो में और कहते है हम है साथ हर मजहब को निभाने में
देश को बाँट रहे है टुकडो में और कहते है हम है साथ हर मजहब को निभाने में...........!!!!

निशा

बिना नाम के इस रिश्ते को दोस्ती का मैंने नाम दिया

आँखों के रस्ते कुछ लोग है दिल में यूँ बसते......
अपनी छवि से हर मुश्किल राह को आसान करते हँसते हँसते.....
उन लोगो की ज़िन्दगी का हिस्सा बन्ने जो मैं चली.....
ख़ुशी से चूमती हुई हर एक राह मुझसे मिली......
इस अनजाने सफ़र का अंत कैसा होगा सोचा नहीं......
निभाउंगी हर एक बात को सोचा तो सिर्फ सोचा यही.....
ज़िन्दगी को आसान बनाके जीना उनसे सिख लिया....
कुछ ना मांग कर भी उनहुने ना जाने मुझको कितना दिया .....
बेख़ौफ़ बनाने को हाथ पकड़ के थम लिया....
बिना नाम के इस रिश्ते को दोस्ती का मैंने नाम दिया....!!

for mom & dad ( best teachers of my life):-

दिल से कहनी थी एक बात......
छुटे कभी ना मुझसे उनका हाथ.....
जिनके साये में पली बड़ी....
जिनके हाथों में दिन रात हू खेली.....
उनसे सीखी ना जाने कितनी बातें......
दिए जिन्हुने मुझे खुशहाल से दिन और बेफिक्री रातें....
हाथ पकड़ कर चलना सिखा...
उनके साथ के साथ मैंने आगे बढ़ना सिखा....

सुख और दुःख की परिभाषा....
सही को सही और गलत को गलत कहने की शिक्षा...
अपने अस्तित्व का हिस्सा बना के रखा अपने पास.....
मेरे माँ बाबा बस वोही तो है मेरे वो खास....
मेरे माँ बाबा बस वोही तो है मेरे वो खास.....!!!

निशा

कुछ अनसुनी बातें....

आज अजीब सी एक बात हुई....
तनहा अकेली राह में एक दोस्त से मुलाकात हुई.....
दोस्ती के उस एहसास में जिस उम्मीद की आस लगा रखी थी.....
उस उम्मीद को मैंने अपनी आँखों में दम तोड़ते हुए देखा......
नहीं समझ सकी यह कुसूर था मेरा या उसका......
शायद उसने समझ लिया मुझे उस भीड़ का हिस्सा........
जो लोग स्वार्थ की बनावट में मशहूर करते है अपना किस्सा........
मैं तो चली थी उस राह में एक अंतरिम दो

स्ती को निभाने.....
प्यार से भरी हर उम्मीद को विश्वास के धागों में पिरोने,.......
पर शायद कुछ बाकि रह गया था खुद के बारे में बताना......
जो पढ़ ना सका वो मेरी आँखों में और पड़ा मुझे जाताना............!!!

निशा

तेरी ख़ामोशी....

लोग पूछते है तेरी ख़ामोशी का सबब तो तू हंस के टाल देता है......
पर तेरा ये मायूस चेहरा मुझे तेरे दिल का सारा हाल देता है.......
गुजरे हुए वक़्त के दिए जख्मो को जो तुने दिल में दबा के रखा है......
अकेली तनहा रातों में वो आँखों में आंसूं बनके बहता है........
मैं जानती हूँ टूटे हुए दिल के टुकडो को जोड़ना आसान नहीं होता......
उस शख्स के साथ बीते पल में महसूस हर ज़ज्बात का बयान नहीं होता......
पर ज़िन्दगी से जो यूँ चला गया उसकी यादों में यूँ ना मर......
की जो है सामने आँखों के उसकी बेकद्री ना कर.......
ये जो लम्हा तू आज जी रहा है वो फिर से बीत जायेगा ..........
और फिर तू इस लम्हे की यादों को किसी एक वक़्त याद कर पछतायेगा..........

आज जी ले इसे जी भर के ये पल फिर ना लौट के आएगा........
धुंधली यादों के सहारे से तिल तिल कर तू कब तक जी पायेगा........
मुश्किल है भूल पाना पर यकीन है तू एक दिन भूल जायेगा........
दुआ है मेरी की ऐसा भी एक दिन आएगा.......
जब कोई तेरी ज़िन्दगी में तेरे इस दर्द को ख़तम कर तेरे होंटों की हंसी बन खिल खिलायेगा ......
और प्यार की उम्मीद का दामन थामे तू फिर आगे बढ़ पायेगा.......
यकीन है मुझे ये दिन जरुर आएगा........यकीन है मुझे ये दिन जरुर आएगा.!!

निशा

कुछ ऐसा करके जायेंगे.....

रात की ख़ामोशी और सुबह के उजाले......
दुनिया के देखो रंग रूप है निराले.......
आये है इस दुनिया में तो कुछ ऐसा करके जायेंगे.....
कि लाखों कि भीड़ में एक कभी हम भी कहलायेंगे......
ऊँचाइयों को छूती हुई अपनी पहचान बनायेंगे.....
जब अकेले तन्हाई में बैठोगे तुम तो तुमको बहुत याद आयेंगे.......!!

दबे पैरो की आहट लिए आया कोई मेरे रस्ते....

दबे पैरो की आहट लिए आया कोई मेरे रस्ते....
दिल में एक तस्वीर बनाई और बोला मुझसे हँसते हँसते....
दिल के ज़ज्बातों में डूबी हर एक बात है प्यारी....
पर इनको महसूस करके मुझ पर हंसती है दुनिया सारी......
मैं बोली मेरी बात मान ओह पगले हर किसी से यूँ दिल ना लगा.....
ज़ज्बातों से भरे समंदर के बहाव में खुद को यूँ ना बहा.....
इस दुनिया की रीत है जिसमे तू भी फंस कर रह जायेगा.....
अपने हिस्से का सब जी लेंगे
बस तू एक सोच सोच कर पछतायेगा.....
मन के हिस्सेदारों में मिलेंगे कुछ तुझको ऐसे लुटेरे.....
जिनको समझना चाह कर भी तू कभी ना समझ पायेगा.....
वक़्त की कसौटी पर तू सही तब ही कहलायेगा.....
जब दिल की कीमत जान तू उसके सही हिस्से कर पायेगा.....!!!

तू है तो......

कभी तू मेरे होंटों की हंसी बन मुस्कराए.....
कभी तू मेरी चाहत का गीत बन गुनगुनाये......
कभी तू मेरे आँखों के आंसूं बन छलक जाये.....
कभी तू दर्द का लम्हा बन मेरे एहसास को छू जाये.....
कभी तू अनदेखा सा सपना बन नींदों में आये....
कभी तू यादों का सहारा ले रात रात भर जगाये.....
कभी तू हाथों को जोड़कर मन से मांगी दुआ बन जाये....
कभी तू दिल में बसे हर जज़्बात का मतलब बन जाये.....
तू है तो वक़्त को बस मुट्ठी में बंद कर लेने का जी करता है.......
तू है तो ज़िन्दगी को गले लगा के बस यूँही जी लेने का जी करता है......!!