रात की ख़ामोशी और सुबह के उजाले......
दुनिया के देखो रंग रूप है निराले.......
आये है इस दुनिया में तो कुछ ऐसा करके जायेंगे.....
कि लाखों कि भीड़ में एक कभी हम भी कहलायेंगे......
ऊँचाइयों को छूती हुई अपनी पहचान बनायेंगे.....
जब अकेले तन्हाई में बैठोगे तुम तो तुमको बहुत याद आयेंगे.......!!
दुनिया के देखो रंग रूप है निराले.......
आये है इस दुनिया में तो कुछ ऐसा करके जायेंगे.....
कि लाखों कि भीड़ में एक कभी हम भी कहलायेंगे......
ऊँचाइयों को छूती हुई अपनी पहचान बनायेंगे.....
जब अकेले तन्हाई में बैठोगे तुम तो तुमको बहुत याद आयेंगे.......!!
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