Friday, August 5, 2011

तेरे लिए मेरे जज्बातों का बयां कुछ शब्दों में


वो आया तो मेरी ख्वाहीशो के परिंदे उड़ने से लगे है...............


उसकी मासुमियत भरी निगाहो मे मेरे दिल के छुपे हसीन ख्वाब जुड़ने से लगे है...............


उसके नन्हे हाथो के स्पर्श मेरे दिल तक देते है दस्तक...............
उसे देख सोचती हूँ मै कि कितनी मै अकेली थी अब तक...................


वो आया तो मेरी ज़िन्दगी फुलो कि महक - सी खिल गयी.........................


उसे पाकर मै एक मां होने के अनकहे एहसास से मिल गई.........................


इसलिये आज कहती हूँ उसकी हर एक ख्वाहिश से मैने अपने ख्वाहीशो को जोड लिया है..........................


मेरी ज़िन्दगी कि किताब के हर अधुरे रस्ते को उसकी मुस्कुरात से एक खुबसुरत सफर की ओर मोड लिया है........................

तनहा तनहा

तनहा तनहा सा हर एक लम्हा... मायूस हर शाम है..........



हर पल शायद अब इस ज़िन्दगी मे खामोशी का ही नाम है..........


जिसके साथ ज़िन्दगी का हर एक पल चाहा था................


आज मुजसे वो कहता है तू मेरे लिये अंजान है...............


जिसकी चाहत को मैने अपने एहसास मे हर वक़्त जीया ..............

आज वो कहता है मुजसे कि तुझमे बस एक अधूरेपन कि पहचान है .............


सब भूल कर जिसे अपने होटो कि हंसी माना...............


आज वोकहताहै तू मेरी ज़िन्दगी मे बस पल दो पल का मेहमान है,...........


दिल के इस वीराने मे है तेरी यादों का पेहरा............


भूल के भी भूल ना पाऊ तुने दिया है ज़ख्म इतना गेहरा...........


चाहत कि इस कश्मकश मे उलझा है मन बावरा...............


दिल के अरमानो में तुझे ही ढूंढे मेरे सावरा.....

wo ek naam ....

मन कि एक बंद किताब के पन्नो पे वो एक नाम आया....


फिर से अपने साथ उनसे बरसो मे मिलने की एक शाम लाया..........


देखा उन्हे सामने तो फिर जज्बातों का एक दौर यादों का एहसास बन आंखो मे छाया.......................


गुजरते पलो कि वो मिठी यादों का मिले जुले एहसास ने फिर से मुझे उनसे मिलाया...........................


जिन आंखो मे खुद के लिये दिखता था अंतरिम प्यार कभी आज उन्ही ने मुझे खुद से अजनबी बनाया.............


जिस मोड पर खडे होकर करी थी शुरुवात उन जज्बातों की ..........................

आज उसी मोड पर उन अनगिनत एहसास से लिखी किताब के उन पन्नो को बिखरा हुआ पाया.....................


उसके घर के आँगन मे जहां खिले थे नये उम्मीद के फूल कभी....................

आज उन्ही खुबसुरत क्यारियो ने काटो कि चुभान का एहसास कराया.....................


जाते- जाते उनकी नजरो से जो हुआ सामना मेरा..........................


टूटती ख्वाहिश और बीखरती उम्मीद के जज्बात के सैलाब को मैने आंखो मे नमी के साथ पाया ..............