Thursday, April 4, 2013

तन्हाई और मायूसी

वक़्त मायूस बन जब ज़िन्दगी को रुलाये,
तन्हाई से भरा दर्द का आलम देखो कितना सताए,
शिकायत दिल में उठे और शिकवा ज़िन्दगी से बढ़ता जाये,
रूठने का मौसम हो और मानाने कोई न आये,
सपना हर अधुरा लगे, हकीकत से मन घबराए,
कोशिश कितना भी करे नाकामयाबी ही हाथ आये,
प्यार की कशिश भी कोई असर ना कर पाए,
साथ हो किसी का भी अकेला ही मन रह जाये,
भीगे दामन से एहसास सारे एक कदम भी आगे न बढ़ पाए,
वक़्त मायूस बन जब ज़िन्दगी को रुलाये,
तन्हाई से भरा दर्द का आलम देखो कितना सताए.......!!

निशा :)smile always

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