Monday, April 15, 2013

जीवन की आखिरी साँसों में सबसे ज्यादा महत्व रखता है अपनापन, आशा है मेरी- कभी ना आये जीवन में किसी के संघर्ष भरा ये क्षण:-

हाथों का कम्पन, सवालों की उलझन,
उम्र का तकाजा, माथे पर शिकंज,
आँखों का धुंधलापन, फिक्र भरा खोखला मन,
सोच की गिरफ्त में मौजूद, साँसों से दूर भागता तन,
फ़र्ज़  अधिकार की बेड़ियों से लिपटे, बूढ़े मन से छूटी सारी  अभिलाषा,
मायूस बना के छिना अपनों ने ही, जीवन से उनके जीने की आशा,
खून पसीने से सींचकर, जिस औलाद के लिए की कुर्बान जवानी,
आज उसी ने  सर से छत छिनी, दो घूँट भी पूछा  न पानी,
बूढ़ा नकारा  समझ, उनका आदर, उनकी क़द्र ना जानी,
मुझे वृद्धाश्रम में मिली  ऐसी अनगिनत काहानी,
ये है उन लोगो का विस्तार जिन्हें जीने का मिला न आधार,
अकेलेपन से जुझते दर्द के बीच इंतज़ार में बीता उनके जीवन का सार…. !!!
निशा  :) smile always

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