दिन के उजाले और रात के टिमटिमाते तारे,
रोशनी दे ऐसी धरती का हर एक कोना सवारें,
सुबह की किरण और चाँद की चांदनी के नज़ारे,
अँधेरे को छोड़ उजाले की तरफ बढ़ने का मकसद दे ये सारे
हवाओं का रुख और बादलों का गरजना,
जैसे बिन बुलाई विपदा का ज़िन्दगी में आना,
बिजलियों का कड़कना और बिन मौसम बरसात का होना,
जैसे दुःख की घडी में अपनों का रोना
उसने किया सृष्टि का निर्माण यूँ,
जैसे हर एक के अस्तित्व का है कुछ कारण यहाँ,
कहीं सजल तो कहीं प्रबल है वक़्त क्यूँ ,
मानवता के जीवन का सारांश छुपा है जाने कहाँ ……!!!!
निशा :) smile always
रोशनी दे ऐसी धरती का हर एक कोना सवारें,
सुबह की किरण और चाँद की चांदनी के नज़ारे,
अँधेरे को छोड़ उजाले की तरफ बढ़ने का मकसद दे ये सारे
हवाओं का रुख और बादलों का गरजना,
जैसे बिन बुलाई विपदा का ज़िन्दगी में आना,
बिजलियों का कड़कना और बिन मौसम बरसात का होना,
जैसे दुःख की घडी में अपनों का रोना
उसने किया सृष्टि का निर्माण यूँ,
जैसे हर एक के अस्तित्व का है कुछ कारण यहाँ,
कहीं सजल तो कहीं प्रबल है वक़्त क्यूँ ,
मानवता के जीवन का सारांश छुपा है जाने कहाँ ……!!!!
निशा :) smile always
No comments:
Post a Comment