आज एक बंद अँधेरी कोठरी में मैंने एक लड़की को पाया,
हैवानियत के दर्द में लिपटा उसका रोम-रोम चिल्लाया,
जिस उम्र में थे करने साकार सपने कई,
उस दौर में उसने अंतरिम दर्द के सिवा कुछ न पाया,
भूखी नज़रों ने जो किया उसपे वार,
जिस्म से आह निकली और दिल का हर हिस्सा टूट कर कहराया,
भूल गए वो दरिन्दे की एक औरत (माँ) ने ही उनको अपनी कोक से जन्माया,
इंसानियत का हैवानियत में बदलता रूप मैंने आज इस दास्तान में पाया,
ज़िन्दगी की इस कड़वी सच्चाई से बदल गयी उसकी हर आस,
हर चीख् मे दबा था उसके टूट कर बिखरने का एहसास,
अकेला छोड़ उसे दुनिया का कोई इंसान न पहुंचा उसके पास,
एक दर्द भरी कहानी का हिस्सा बनके रह गई वो जिसे बनना था कुछ ख़ास,
चाहती हूँ मैं इस दर्द से उभर कर फिर उठे वो एक बार,
अँधेरे रास्ते को छोड़ नयी राह चुन अब उन अत्याचारियों पर करे वो वार,
गलत को मिले ऐसी सजा की फिर न कभी किसी लड़की पर कोई नज़र डाल सके,
इज्जत होती है क्या इस समाज को वो अपने हक़ की लड़ाई लड़ फिर बतला सके ...............!!!!!!
निशा :)smile always
हैवानियत के दर्द में लिपटा उसका रोम-रोम चिल्लाया,
जिस उम्र में थे करने साकार सपने कई,
उस दौर में उसने अंतरिम दर्द के सिवा कुछ न पाया,
भूखी नज़रों ने जो किया उसपे वार,
जिस्म से आह निकली और दिल का हर हिस्सा टूट कर कहराया,
भूल गए वो दरिन्दे की एक औरत (माँ) ने ही उनको अपनी कोक से जन्माया,
इंसानियत का हैवानियत में बदलता रूप मैंने आज इस दास्तान में पाया,
ज़िन्दगी की इस कड़वी सच्चाई से बदल गयी उसकी हर आस,
हर चीख् मे दबा था उसके टूट कर बिखरने का एहसास,
अकेला छोड़ उसे दुनिया का कोई इंसान न पहुंचा उसके पास,
एक दर्द भरी कहानी का हिस्सा बनके रह गई वो जिसे बनना था कुछ ख़ास,
चाहती हूँ मैं इस दर्द से उभर कर फिर उठे वो एक बार,
अँधेरे रास्ते को छोड़ नयी राह चुन अब उन अत्याचारियों पर करे वो वार,
गलत को मिले ऐसी सजा की फिर न कभी किसी लड़की पर कोई नज़र डाल सके,
इज्जत होती है क्या इस समाज को वो अपने हक़ की लड़ाई लड़ फिर बतला सके ...............!!!!!!
निशा :)smile always
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