Tuesday, September 18, 2012

शायरी १२ (दिल की कुछ बात)

तकदीर की लकीरों में आधा हिस्सा दुःख का और आधा हिस्सा ख़ुशी का है ........
इससे डरकर जीना छोड़ न दे तू क्यूंकि ये तो हर ज़िन्दगी का किस्सा है..........
कभी खुदा से मिलकर पूछेंगे तुने हर इन्सान के साथ ये कैसा अजब सा  खेल है बनाया.......
कहीं ज़िन्दगी को मिली है धुप की जल्जलाती किरणे और कहीं है सुख से भरी अंतरिम छाया.......!!

निशा

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