Tuesday, September 25, 2012

एक लड़की की कहानी एक लड़की की जुबानी....:-

आज मैंने ज़िन्दगी का कैसा भयानक रूप है देखा.....
बेदर्दों की इस दुनिया में किसी ने एक बिलखती नन्ही जान को कूड़े के ढेर में फेका......
क्या उसका कसूर था इतना की वो लड़की के रूप में पैदा हुई........
कैसी कोक से जन्मी वो जो है इतनी निर्दयी........
कहते है लक्ष्मी का रूप है स्त्री जो परिवार को देती है अपनी निर्मल छाया........
भूल गया वो बेदर्द इन्सान जो उससे ही इ
स धरती पर आया.........
रूढी रीतियों का गन्दा खेल है ये जिसने भरे संसार में उसको अकेला बनाया......
सुख की नींद से नाता छोड़ हर अपने से दूर कराया..........
दर्द से भरी कैसी है ये खुदा की खुदाई..........
जिससे मेरी आँखें है भर आई............
हाथ जोड़ मांगूं खुदा से अब दे उसको ऐसा आशियाँ..........
माँ के आँचल में खेले वो फिर से मिल जाये उसे एक मुक्कम्मल जहाँ.......!!!
 
 निशा :)

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