Wednesday, September 26, 2012

ना जाने कब कैसे कहाँ मुझे प्यार हो गया .....

ताबज्जू इस दिल को जो दी तो
ना कहते कहते भी इकरार हो गया
उनके खयालो में यूँ रहने लगे हम
की समझे भी ना हम और ये दिल खो गया
अजीब बेचैन ज़िन्दगी में अब तो
दिन और रात का फर्क करना भी दुश्वार हो गया
तेरी सोच के साथ जीने जो लगे हम
तो सपनो में भी तेरा दीदार हो गया
रुठते रहे हम और मानते रहे तुम
और इसी तकरार में  ना जाने कब कैसे कहाँ मुझे प्यार हो गया .....
ना जाने कब कैसे कहाँ मुझे प्यार हो गया...!!!

निशा :) smile always

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