Thursday, April 4, 2013

समझ और समझदारी की बेजोड़ गांठ बांध तू,
जो चल पड़े खोजने नए रास्ते और नया सफ़र,
मिले हर एक मंजिल उलझी हुई सी हर एक पथ हर एक डगर,
मशक्कत जो करनी पड़े तो तू उससे कभी न डर,
फलसफा है ये ज़िन्दगी का छोड़ जा अपने निशाँ इस तरह,
की दुनिया पे रह जाये तेरी मौजूदगी का कुछ असर ....!!!

nisha :) smile always

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