Monday, April 15, 2013

सूनापन....

एक अजीब सा सूनापन, एक अजीब सी खलिश है,
बहुत बेजार से दिन गुजरे मेरे, बहुत मायूस ये तपिश है,
पीछे मुड के देखूं बार-बार, तो खुद में ही सवाल उठे,
आगे बढूँ जो दो कदम भी, तो मुझसे रूठी राहें   मुझे रोके,
तकिये पर रोज़ ख्वाबो का मंजर टूटता बिखरता दिखता मुझे,
सुबह की किरण से ओझल हो सब, दिल तो फिर भी संभाले न संभले,
राख से उभर कर आये थे, फिर उसी राख में एक दिन दफ़न हो जाएगा,
शरीर भी एक दिन इस दुनिया में अपने होने की कीमत अलविदा कह चुकाएगा …. !!!

nisha :) smile always

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