Thursday, April 4, 2013

एक मेहमान...

खुबसूरत एहसास ने दिल में बुलाया एक मेहमान,
प्यार की अनछुई सी पूरी की उसने दास्ताँ,
फूल खिले ख्वाहिशों  के जागते रहे अरमान,
चाहातों की वादियों में खिला मोहब्बत का गुलिस्तान,
साहिलों पर खड़ी  मंजिल न खोजे  कोई कश्तियाँ,
 हाथ थामे जो चल दिए तो साथ जैसे सारा जहां,
तिन-तिन कर नन्हे सपनो से जोड़ा ये तेरा मेरा आशियाँ,
खिलखिलाती जमीन की महक जिसमे, उजाले लिए अपने संग खुला आस्मान……

निशा :)smile always

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