Monday, April 15, 2013

तुमसे रोशन सारा आसमान....

चाँद की चांदनी का हुआ उसे गुमान,
खुद की बेशुमारी में कितना उलझा था वो बेइमान,
सितारों की महफ़िल ने उसे रोका  एक शाम,
कहा न तू इस कदर जुल्म ढा हम पर हो थोडा मेहरबान,
तेरी रोशनी का सब लुत्फ़ उठाते है और तेरे आगे हम फीके पड़ जाते है,
चाँद ने भेजा  उनको वापस ये  पैगाम ,
मैं तो बस दो ही दिन का हूँ यहाँ  मेहमान,
तुमसे तो रोशन है ये सारा आसमान , फिर क्यूँ फिक्र में हो इतने परेशान,
मैं हूँ अगर जिस्म तो तुम सब हो इस ब्रह्मांड की जान,
तुमसे तो रोशन है ये सारा आसमान,
तुमसे तो रोशन है ये सारा आसमान…….!!!

निशा :)

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