Monday, April 15, 2013

चंद राहों का चिराग बन मैं उसके लिए मंजिल ढून्ढ लाऊं,
अँधेरे की क्या फिक्र फिर वो कहे तो चाँद को भी उसका घर बनाऊं,
दास्ताँ उसके दम से है वो नहीं तो जीने की वजह क्या बतलाऊं,
उसे भुलाने की खता नहीं कर सकती कभी ऐसा हो तो खुद को ही भूल जाऊं …!!!!

निशा :) smile always

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