चंद राहों का चिराग बन मैं उसके लिए मंजिल ढून्ढ लाऊं,
अँधेरे की क्या फिक्र फिर वो कहे तो चाँद को भी उसका घर बनाऊं,
दास्ताँ उसके दम से है वो नहीं तो जीने की वजह क्या बतलाऊं,
उसे भुलाने की खता नहीं कर सकती कभी ऐसा हो तो खुद को ही भूल जाऊं …!!!!
निशा :) smile always
अँधेरे की क्या फिक्र फिर वो कहे तो चाँद को भी उसका घर बनाऊं,
दास्ताँ उसके दम से है वो नहीं तो जीने की वजह क्या बतलाऊं,
उसे भुलाने की खता नहीं कर सकती कभी ऐसा हो तो खुद को ही भूल जाऊं …!!!!
निशा :) smile always
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