Tuesday, October 9, 2012

ये ज़िन्दगी :-

बेफिक्री सी ज़िन्दगी और उसमे बेशुमार  ख्वाहिशें........
कहीं खुले दिल कि छूट कहीं हज़ार बंदिशें......
वक़्त के सितम से कहीं मिली रूठी हुई मंजिलें......
मनाने जो बैठे हम तो पूरी हुई कई चाहतें.......
हाथ थामे जो चल दिए तो मिली आसमान में उड़ने कि आशाएं.......
छूटे जहाँ पे साथ वही जुडी ज़िन्दगी से निराशाएं........
कई रिश्तों में दबे हर जज़्बात को लेके हमने जी  ये ज़िन्दगी........
सँभालते रहे हम उम्र भर फिर भी न संभली ये ज़िन्दगी..........
हाथों में ख्वाबों के रेत भर समुन्दर के जैसी बहती ये ज़िन्दगी.........
नामुमकिन कोशिश से मुमकिन बातों तक के सफ़र को तय करती ये ज़िन्दगी.........!!!

निशा :) smile always

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