Tuesday, October 2, 2012

इजहार और इकरार ..:-

 फूल की कलियों में लपेटकर.....
जो  दिया तोहफा हमने उन्हें प्यार का.....
वो बोले - उसकी खुशबु से मेहेकने लगा मेरा दिल.....
और कर रहे हम इंतज़ार तेरे इजहार का ......
बेकरारी बेखयाली सताने लगी अब तो....
खत्मकर इस बेसब्री को फिर  दे तोहफा अपने  इकरार का.....
अब तो लोग भी मुझे देख  पूछने लगे है......
बेशुमार प्यार की दौलत का हक़ है किसके नाम का......
अब मैं क्या जताउन और क्या  बताऊँ उन्हें.....
जिसे देख मेरा दिल हर पल  धड़क जाये
वो तो है बस मेरे यार का......
वो तो है बस मेरे यार का.........!!

निशा :) smile always

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