Tuesday, October 2, 2012

बारिश की बुँदे

 बादलों के बीच चमकती रोशनी से बरसने लगी रिमझिम बुँदे......
इस भीगते मौसम में मेरी नज़रें सिर्फ और सिर्फ तुझे  ढूंढे.....
ये हवाओं  की शरारत है या मौसम का आगाज़ है कहीं.....
जो तेरे मिलन को तरसे और चाहे महसूस करना तुझे अपने पास यहीं....
सावन की इन बूंदों में कहीं बच्चो की खिलखिलाहट भी सुनाई दे.......
ऐ काश बरसती सरसराती इन फिजाओं में मुझे तेरी छवि भी कहीं दिखाई दे.....
कभी किसी की आँखों से छलक जाये याद का किस्सा इन बरसती बूंदों को देख.....
कभी किसी के दिल में ठहर जाये एहसास का लम्हा इन खुबसूरत वादियों को देख.....
कहूँ इन बादलों से अबकी बार बरसे हो कल फिर लौट के आना.....
मौसम के इस अंदाज़-इ बयान से हर टूटे दिल को फिर से प्यार करना सिखाना.....!!!!

निशा :).smile always

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