Sunday, October 7, 2012

फासले..गुजारिश और साथ :) -


चलना चाहू हर पल तेरी परछाई बन तेरे साथ.....
आके देख ज़ज्बात मेरे और दे अपना हाथों में हाथ......
ये ज़िन्दगी अधूरी और अधूरी तेरे बिन मेरी हर एक बात.......
बेजार से हर दिन गुजरे और तन्हाई में कटती हर एक रात.......

तेरी खामोश नज़रें दिल को कमजोर बना देती है.......
मेरे तेरे बीच के ये फासले और बढ्हा देती है.......
मैं क्या करू तेरी ये ख़ामोशी मेरे दिल को अक्सर ये सजा देती है.......
होंटों से निकले एक शब्द तो पूरा अर्थ जता देती है.....

अगर ज़ज्बात का ये इम्तेहान तो देने से हम ना डरेंगे......
तू चल पड़े जो साथ तो अपनी ज़िन्दगी भी तेरे नाम करेंगे.....

तू आया और तेरे कदम मेरी तरफ इस कदर जो बढ़ चले......
आये यूँ करीब हम और मिट गए हर फासले......
दिल तो है चाहता कि बस यूँही चले ये सिलसिले......
कभी ना बिछड़े जो इतनी गुजारिश से अब ये दिल मिले.......!!!!!

निशा :)smile always

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