तनहा तनहा सा हर एक लम्हा... मायूस हर शाम है..........
हर पल शायद अब इस ज़िन्दगी मे खामोशी का ही नाम है..........
जिसके साथ ज़िन्दगी का हर एक पल चाहा था................
आज मुजसे वो कहता है तू मेरे लिये अंजान है...............
जिसकी चाहत को मैने अपने एहसास मे हर वक़्त जीया ..............
आज वो कहता है मुजसे कि तुझमे बस एक अधूरेपन कि पहचान है .............
सब भूल कर जिसे अपने होटो कि हंसी माना...............
आज वोकहताहै तू मेरी ज़िन्दगी मे बस पल दो पल का मेहमान है,...........
दिल के इस वीराने मे है तेरी यादों का पेहरा............
चाहत कि इस कश्मकश मे उलझा है मन बावरा...............
दिल के अरमानो में तुझे ही ढूंढे मेरे सावरा.....
हर पल शायद अब इस ज़िन्दगी मे खामोशी का ही नाम है..........
जिसके साथ ज़िन्दगी का हर एक पल चाहा था................
आज मुजसे वो कहता है तू मेरे लिये अंजान है...............
जिसकी चाहत को मैने अपने एहसास मे हर वक़्त जीया ..............
सब भूल कर जिसे अपने होटो कि हंसी माना...............
आज वोकहताहै तू मेरी ज़िन्दगी मे बस पल दो पल का मेहमान है,...........
दिल के इस वीराने मे है तेरी यादों का पेहरा............
भूल के भी भूल ना पाऊ तुने दिया है ज़ख्म इतना गेहरा...........
चाहत कि इस कश्मकश मे उलझा है मन बावरा...............
दिल के अरमानो में तुझे ही ढूंढे मेरे सावरा.....
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