Wednesday, March 13, 2013

मौत

  1. मौत की आगोश में सिमटकर,
    जब रुखसत हो रूह किसी की,
    नए जहाँ में शामिल हो,
    हर रिश्ते नातों से परे वो,
    सब बन्धनों को दे तोड़ इस जमीन की,

    देख उस शारीर का जनाजा,
    अश्रुओं से भीगे दामन क्यूँ,
    फिर कभी न खुले उसके लिए इस जहां का दरवाजा,
    यादों को छोड़ चल पड़े इस कदर यूँ,

    खुदा की बनायीं इस रीत का,
    अंत न कोई जान सका ,
    ज़िन्दगी की दौड़ में चलते- चलते,
    अंततः राह का हर मुसाफिर थका,
    अँधेरे के बाद कहते है रोशनी भरा जहां मिले,
    ख़त्म जो हो जाये ये सिलसिला तो क्या पता कौन कब कहाँ मिले…...!!!

    निशा :) smile always

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