Friday, March 15, 2013

दिल की नगरी

दिल की  नगरी में देखो होता है अक्सर ये किस्सा,
मिले कहीं अंतरिम ख़ुशी के पल कहीं सिर्फ दर्द का हिस्सा,
रिश्ते की नीव पर बनी है इसकी दीवारें,
प्यार, चाहत, मोहोब्बत, वफ़ा और खुबसूरत सोच से हर एक कोना  सवारें,
रोज़ सोच के दरवाजे पर लगता नए लोगो का मेला,
इतनी भीड के बीच भी रहे ये वीरान दिल कितना अकेला,
शिकवा और शिकायत का भी अपना एक फसाना है,
दिल के इस नगर में हर उन हिस्सेदारों का आना जाना है,
जिनके साथ जीने की पूरी हो परिभाषा,
ख्वाबों के सफ़र से चलकर साकार हो अंत में इस दिल से जुडी हर आशा……।!!!!!

निशा :)smile always

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