Wednesday, March 13, 2013

कभी

कभी भीगती पलकों ने तन्हाई से करायी मेरी मुलाकात,
कभी खामोश मंजर ने सुनाई चुप रहके हर रूठी बात,
कभी राहों का सूनापन मुझे याद दिलाये तेरा साथ,
कभी बेचैन दर्द का एहसास मुझे झिंझोर के रख दे हर बार,
कभी तेरी कमी को हर वक़्त में खोजू, फिर आँखों की नमी को अन्दर ही समेट  लूँ,
कभी झूठी हंसी से छुपा लूँ दिल के जज़्बात, फिर मन को मनाऊं और बाँटू खुद से खुद के ख़यालात,
कभी भीगती पलकों ने तन्हाई से करायी मेरी मुलाकात,
कभी खामोश मंजर ने सुनाई चुप रहके हर रूठी बात.......!!!


निशा :) smile always

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