Tuesday, January 8, 2013

हसरतों की स्याही से लिखी रोज़ बातें नयी....

हसरतों की स्याही से लिखी रोज़ बातें नयी,
कभी  दम तोडा किसी ने कभी साकार भी हुई कई,
रोज़- रोज़ दिल के बाज़ार में  लगता ख्वाहिश का मेला,
पर फिर भी नादान सा समझे न ये  है भीड़ के बीच बिलकुल अकेला,
ज़िन्दगी की इस दौड़  में हमने खुद को पीछे पाया,
खाली सपनो के पीछे भागते भागते ऐ नादान तू कहाँ मुझको ले आया,
अब कहूँ रुक जा जरा थाम के मेरा हाथ मुझे संभल जाने दे,
सपनो से परे हकीकत के इस सफ़र में अब तो मुझे खुद को आजमाने दे !!!

निशा :) smile always

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