Saturday, January 9, 2010

Friday, January 8, 2010

ख्वाहिशो की उडान

ख्वाहिशो की उडान

मेरी ख्वाहिशो की उडान हर वक़्त अपना मकाम धुन्दती है .…….

सपनो के दामन से निकल कर हकीक़त का आशियाँ बुनती है ...……

चाहतो का समंदर है इतना गहरा की उसमें डूब जाऊँ मैं ..………

इसलिए उम्मीद किस्मत के बनाये हर एक रास्ते को चूमती है ...……..

मेरे एहसास कहते है मुझसे की चल आज जी ले जरा …………..

खुशियों और छोटी - छोटी उम्मीदों को चल एक धागे में पिरो ले जरा ….

कल कौन सा मंजर तुझे रुलाएगा ……

और कौन से रस्ते में मुस्कराहट का हर एक एहसास खिल जायेगा …….

ना कोई जनता है ये ना कोई जान पायेगा......

मेरी तमन्नाओ को उडान देना चाहती हू मैं …….

जिंदगी की बनायी हर एक रस्म को जी लेना चाहती हू मैं …….

इसलिए तो मेरी ख्वाहिशो की उडान हर वक़्त अपना मकाम धुन्दती है .…….

सपनो के दामन से निकल कर हकीक़त का आशियाँ बुनती है ...……


हर रात मेरी सोच में एक नए ख्वाबो की दस्तक होती है …………

चैन भरी नींद में एक खामोशी सोती है ……..
उन ख्वाबो में अरमानो का वो भवर बसता है ………
जो खामोशी भरी नींद में भी जगता है …………..
आँख खुलते ही ख्वाबो का टूटना नज़र आता है ………
पर एक नए उजाले के साथ नयी रौशनी की किरण दिखा के जाता है ……….
रौशनी की वो किरण नए अरमानो का रौशन जहाँ बनती है ……..
मन में बसी सारी इच्चाऊ को नया रूप और नया रंग देके जाती है ……
इसलिए तो मेरी ख्वाहिशो की
उडान हर वक़्त अपना मकाम है .…….
सपनो के दामन से निकल कर हकीक़त का आशियाँ बुनती है

पुरानी यादें

पुरानी यादें

कभी कभी पुरानी यादों का एहसास मन के आइने में झाक के कहता है ….

मैं आज भी हू तेरे अन्दर मौजूद मेरा अक्स तुझमे ही कहीं रहता है ….

धुंधली यादों की दस्तक से जब पलकें भीगने लगती है ………

उन्ही यादों का दामन थामे मेरे मन का हर एक एहसास मुझसे ये कह उठता है …

“आज भी हू मैं तेरे अन्दर मौजूद मेरा अक्स तुझमे ही कहीं रहता है …


बीते हुए हर एक लम्हे ने मेरे एहसास को छू लिया …….

हर एक एहसास को याद बनाके मेरे मन ने अपने अन्दर संजो लिया ….

मन की डालियों में सौंधी - सौंधी यादों से भरी खुश्बुयो की महक खिल गयी …

याद आया हर एक पल और मैं गुजरे हुए हर एक वक़्त से मिल गयी ……

जाने कितने रास्तो से गुजारी मैं …जाने कितने लोगो से हुई मुलाकात ……

याद है हर एक शख्स और है मन में तस्वीर उसकी बनके एक खुबसूरत याद …….

शिकवा भी है और शिकायत भी …आंसू भी है और मुस्कारत भी ………

पर फिर भी हर एक मोड़ में मेरे अस्तित्व की परछाई है छिपी ……

इसलिए कभी कभी पुरानी यादों का एहसास मन के आइने में झाक के कहता है ….

"मैं आज भी हू तेरे अन्दर मौजूद मेरा अक्स तुझमे ही कहीं रहता है …."


कुछ लोगो की छवि मन में इस कदर बस गयी , भुलाये भी ना भूल पाऊ ऐसी कड़ियाँ जुड़ गयी …………

कई लोगो को बदलते देखा मैंने , गुजरे हुए वक़्त के साथ ……

कभी किसी ने छोड़ा साथ …तो कभी किसी ने थामा मेरा हाथ ….

पर कुछ अजनबी इस तरह मिले की मिट गए दिल से हर एक गिले शिकवे ….

यादों में बसे हर एक लम्हे ने जीना सिखा दिया ……….

आंसू , मुस्कराहट , दोस्ती , प्यार हर एहसास को फिर से मुझसे मिला दिया ……..

आज ना जाने क्यूँ पुरानी यादों का मौसम लौट आया है ……….

जिनमे दोस्ती की खिलखिलाती महक और अंतरिम प्यार का साया है …….

खट्टे मीठे लम्हों की है ये यादों भरी मेरी दास्ताँ …………

जिनमे सुख दुःख के एहसास की जमीं है और प्यार से भरा खुला आसमान ………

पर फिर भी मेरे लिए बहुत मुश्किल है इन यादों को शब्दों में करना बयां ………

इसलिए कभी कभी पुरानी यादों का एहसास मन के आइने में झाक के कहता है ….

"मैं आज भी हू तेरे अन्दर मौजूद मेरा अक्स तुझमे ही कहीं रहता है …."

its me :) nish...